परमाणु संरचना (Atomic Structure)
1.) थॉमसन प्लम पुडिंग परमाणु मॉडल (Thomson` “Raisin Pudding” Atomic Model) :
सन 1898 में जे. जे. थॉमसन ने प्रस्तावित किया कि परमाणु एक समान आवेशित गोला (त्रिज्या लगभग 10 -10 m) होता है जिसमें धनावेश समान रूप से वितरित रहता है | इसके ऊपर इलेक्ट्रॉन इस प्रकार स्थिर होते हैं कि उससे स्थायी स्थिर वैद्युत व्यवस्था प्राप्त हो जाती हैं | इस मॉडल को विभिन्न प्रकार के नाम दिए गए हैं उदाहरणार्थ – प्लम पुडिंग रेजिन पुडिंग अथवा तरबूज मॉडल | इस मॉडल में परमाणु के धनावेश को पुडिंग अथवा तरबूज के समान माना गया है, जिसमें इलेक्ट्रॉन क्रमशः प्लम अथवा बीज की तरह उपस्थित है | इस मॉडल का एक महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि इसमें परमाणु का द्रव्यमान पूरे परमाणु पर समान रूप से बटा हुआ माना गया है | यद्यपि यह मॉडल परमाणु की विद्युत उदासीनता को स्पष्ट करता था, किंतु यह भविष्य के प्रयोगो के परिणामों के संगत नहीं पाया गया |
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- रदरफोर्ड ने सोने की पतली चादर पर अल्फा– कणों की बमबारी का प्रयोग किया तथा पाया कि अधिकांश अल्फा– कणों के मार्ग में धातु की पन्नी में से निकलते समय कोई विचलन नहीं होता है | कुछ कण धातु की चादर में निकलते समय तीव्र विचलित हो गए | इन अल्फा कणों के प्रकीर्णन प्रयोग को थॉमसन के मॉडल द्वारा नहीं समझाया जा सका, जिसमें धनावेश समान रूप से परमाणु में फैला हुआ बनाया गया था |
- रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु का समस्त धनावेश उसके केंद्र में एक सूक्ष्म आयतन में केंद्रित रहता है | इस भाग को परमाणु का नाभिक कहते हैं |
- जब एक धनावेशित अल्फा– कण धनावेशित नाभिक की ओर अग्रसर होता है तो तीव्रता से प्रतिकर्षित होता है अतः तीव्रता से विचलित हो जाता है |
- क्योंकि कुछ ही अल्फा– कण विचलित हुए थे,अतः रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु के सम्पूर्ण आयतन का बहुत ही छोटा आयतन भाग नाभिक घेरता है |
- अधिकांश अल्फा– कण बिना विचलित हुए, सीधे ही निकल गए केवल इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त हैं |
- इलेक्ट्रॉन परमाणु में नाभिकीय आकर्षण के कारण बने रहते हैं |
3.) परमाणु संरचना की क्वांटम धारणा (Quantum View of Atomic Structure) :
पूर्व भौतिकी के नियमों के अनुसार, ऋणावेशित इलेक्ट्रोन्स थॉमसन के किशमिश पुडिंग मॉडल में स्थिर था क्योंकि थॉमसन ने यह माना कि इलेक्ट्रोन्स के चारों ओर एक धनावेश का अभ्र है | रदरफोर्ड के नाभिकीय प्रतिरूप में यद्यपि इलेक्ट्रोन्स स्थिर नहीं थे, किंतु गतिमान थे जिससे छोटे नाभिक पर उपस्थित धनावेश के द्वारा आकर्षण संतुलित हो सके | इन इलेक्ट्रोन्स की गति के साथ ही प्रकाश का सतत उत्सर्जन भी होता है | जैसे–जैसे ये ऊर्जा को खोते जायेंगे प्रकाश के समान इलेक्ट्रोन्स नाभिक के निकट आते जायेंगे तथा सर्पिल रूप में अंततः इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर पड़ेगा | ऐसे परमाणु अस्थाई होंगे | चिरसम्मित भौतिकी परमाणु संरचना नहीं समझा पाया, जिस प्रकार यह उत्सर्जन स्पेक्ट्रम की व्याख्या में असफल रहा था, श्याम वस्तु विकिरण और प्रकाश विद्युत प्रभाव को नहीं समझा पाया | एक संतोषजनक व्याख्या के लिए क्वांटम सिद्धांत की आवश्यकता अनुभव हुई |
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